Pregnancy Diet Chart in Hindi from 1st month to 9 months in Hindi
पहले महीने:
गर्भावस्था के पहले महीने में, महिला को उचित पोषण देना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि शिशु का निर्माण इस समय शुरू होता है।
सुबह:
- एक कप दूध: दूध में कैल्शियम और प्रोटीन होता है, जो शिशु के हड्डियों और दांतों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
- एक सेव करेला: करेला फोलेटिक एसिड का एक अच्छा स्रोत है, जो न्यूरल ट्यूब के सही विकास के लिए आवश्यक है।
दोपहर:
- एक कटोरी दाल: दाल में प्रोटीन और आयरन होता है, जो हेमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है।
- दो चमच चावल: ब्राउन चावल फाइबर और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स का अच्छा स्रोत है।
- एक कप पालक: पालक में फोलेट, विटामिन A, और कैल्शियम होता है, जो गर्भावस्था के दौरान महत्वपूर्ण हैं।
शाम:
- एक छोटा सा फल: आम, अंगूर, या सेब को शाम में खाना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इनमें विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं जो आवश्यक हैं।
रात:
- एक कटोरी सब्जी: सब्जियों में विटामिन्स, खनिज, और फाइबर होता है, जो सही विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
- दो चमच चावल या रोटी: इससे अधिकतम पोषण मिलता है और उचित पोषण शिशु के सही विकास के लिए आवश्यक है।
इस महीने में, महिलाओं को ज्यादा पानी पीना चाहिए ताकि उनके शरीर को सही तरीके से हाइड्रेटेड रखा जा सके और मॉर्निंग सिकनेस की समस्याओं को कम किया जा सके।
दूसरे महीने:
सुबह:
- एक गिलास नारंगी का रस: नारंगी का रस विटामिन C का अच्छा स्रोत है और इससे शिशु के सही विकास में मदद मिलती है।
- एक पोहा कटोरी: पोहा में बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स और फाइबर होता है, जो उत्तेजना और महसूसी लाचारी में मदद करता है।
दोपहर:
- एक कटोरी मूंग दाल: मूंग दाल में प्रोटीन, आयरन, और फाइबर होता है, जो गर्भावस्था के दौरान उपयुक्त है।
- एक कटोरी ब्राउन राइस: ब्राउन राइस
में फाइबर, मैग्नीशियम, और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स होते हैं।
- एक कप गोभी: गोभी में फोलेट, विटामिन C, और कैल्शियम होता है।
शाम:
- एक हैंडफुल ड्राई फ्रूट्स: ड्राई फ्रूट्स में विटामिन्स, मिनरल्स, और ऊर्जा होती है, जो गर्भवती महिला को शक्ति और पोषण प्रदान करते हैं।
रात:
- एक कटोरी लौकी की सब्जी: लौकी में विटामिन A, C, और फाइबर होता है, जो आंतरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।
- दो चमच चावल या रोटी: इससे सही मात्रा में पोषण मिलता है और सही विकास के लिए आवश्यक है।
तीसरे महीने:
सुबह:
- एक कप दही: दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं।
- एक छोटा सा केला: केला विटामिन B6 और फोलेट का अच्छा स्रोत है।
दोपहर:
- एक कटोरी तुअर दाल: तुअर दाल में प्रोटीन, आयरन, और फाइबर होता है।
- एक कटोरी कोई सब्जी: विभिन्न सब्जियों में विभिन्न पोषण तत्व होते हैं, जो शिशु के सही विकास के लिए आवश्यक हैं।
- एक कप ताजगी से भरा फल: जैसे कि आम, अंगूर, या नारंगी।
शाम:
- एक हैंडफुल नट्स और द्राक्ष: नट्स में आयरन, मैग्नीशियम, और फोलेट होता है, जो गर्भावस्था के दौरान उपयुक्त हैं।
रात:
- एक कटोरी गाजर की सब्जी: गाजर में विटामिन A, कैल्शियम, और फाइबर होता है।
- दो चमच चावल या रोटी: सही मात्रा में पोषण और ऊर्जा के लिए।
गर्भावस्था के इस चरण में, महिला को ऊर्जा और पोषण की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि शिशु का विकास तेजी से हो रहा है।
ध्यान रखें कि इन आहारों को खाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर महिला की स्वास्थ्य स्थिति अलग हो सकती है और डायट की आवश्यकताएं भी विभिन्न हो सकती हैं।
चौथे महीने:
सुबह:
- एक कटोरी फ्रूट सैलेड: नींबू का रस, आम, खुजली वाले फल, और अंजीर को मिला कर बनाएं।
दो आलू के परांठे: आलू फोलेट, आयरन, और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स का अच्छा स्रोत हैं।
दोपहर:
- एक कटोरी बूटनी दाल: बूटनी दाल में प्रोटीन, आयरन, और फाइबर होता है।
- एक कटोरी ताजगी से भरा सब्जी: जैसे कि भिन्डी, तोरी, या बैगन।
- एक कप दही: दही का सेवन करना आपकी पाचन क्षमता को बढ़ाएगा।
शाम:
- एक हैंडफुल अंजीर और अखरोट: ये शिशु के बुद्धिमत्ता और आंतरिक विकास के लिए फायदेमंद हैं।
रात:
- एक कटोरी भिन्डी की सब्जी: भिन्डी में फोलेट, विटामिन C, और फाइबर होता है।
- दो चमच चावल या रोटी: सही मात्रा में पोषण और ऊर्जा के लिए।
इस महीने, गर्भावस्था के चरण में शिशु के अंगों और उपकरणों के विकास का शुरुआत होता है। इसलिए, उचित पोषण और प्रोटीन विशेषकर महत्वपूर्ण हैं।
पाँचवे महीने:
सुबह:
- एक कटोरी दही: दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पाचन को सही रखने में मदद करते हैं।
- एक बड़ा सा सेव परांठा: परांठा में अच्छा मात्रा में पोषण होता है।
दोपहर:
- एक कटोरी सोयाबीन दाल: सोयाबीन में प्रोटीन और फाइबर होता है।
- एक कटोरी मिक्स सब्जी: जैसे कि गाजर, मटर, और शलगम।
- एक कप ताजगी से भरा फल: जैसे कि संतरा या अंगूर।
शाम:
- एक हैंडफुल बादाम और खुजली वाले फल: बादाम में विटामिन E और खनिज होते हैं, जो आंतरिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं।
रात:
- एक कटोरी बैंगन की सब्जी: बैंगन में विटामिन C, फोलेट, और फाइबर होता है।
- दो चमच चावल या रोटी: इससे अधिकतम पोषण और ऊर्जा मिलती है।
इस महीने में, शिशु की लात से मां को महसूस होने लगती है और इसके साथ ही उसका बुद्धिमत्ता भी बढ़ने लगता है। इसलिए, पौष्टिक आहार का सही समर्थन करना महत्वपूर्ण है।
छठे महीने:
सुबह:
- एक कटोरी फ्रूट सैलेड: अन्य फलों के साथ खुजली वाले फलों को मिलाएं।
-
दो प्याज और पलक परांठे: पलक में फोलेट, आयरन, और विटामिन A होता है।
दोपहर:
- एक कटोरी चना दाल: चना दाल में प्रोटीन, आयरन, और फाइबर होता है।
- एक कटोरी मिक्स सब्जी: जैसे कि बैंगन, गोभी, और शिमला मिर्च।
- एक कप दही: पाचन को सुधारने में मदद करेगा।
शाम:
- एक हैंडफुल काजू और मुनक्का: काजू में प्रोटीन, आयरन, और फोलेट होता है।
रात:
- एक कटोरी गोभी की सब्जी: गोभी में विटामिन C, फोलेट, और फाइबर होता है।
- दो चमच चावल या रोटी: इससे सही मात्रा में पोषण मिलता है और ऊर्जा की आपूर्ति होती है।
इस समय, शिशु का विकास तेजी से हो रहा है और गर्भाशय में बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए, उचित पोषण और प्रोटीन की अधिक मात्रा में उपभोग करना महत्वपूर्ण है।
सातवें महीने:
सुबह:
- एक कटोरी दही: दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पाचन को सही रखने में मदद करते हैं।
- एक बड़ा सा अंडा ओमलेट: अंडे में प्रोटीन और विटामिन D होता है।
दोपहर:
- एक कटोरी मसूर दाल: मसूर दाल में प्रोटीन, आयरन, और फाइबर होता है।
- एक कटोरी सब्जी: जैसे कि टमाटर, शिमला मिर्च, और मिर्ची।
- एक कप ताजगी से भरा फल: जैसे कि कीवी या अंगूर।
शाम:
- एक हैंडफुल अखरोट और मिश्रित बीज: ये माँ और शिशु के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
रात:
- एक कटोरी ब्रोकोली की सब्जी: ब्रोकोली में विटामिन C, कैल्शियम, और फाइबर होता है।
- दो चमच चावल या रोटी: सही मात्रा में पोषण और ऊर्जा मिलती है।
इस चरण में, माँ को अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है क्योंकि शिशु का विकास तेजी से हो रहा है और उसकी आवश्यकताएं बढ़ रही हैं।
आठवें महीने:
सुबह:
- एक कटोरी फ्रूट सैलेड: अन्य फलों के साथ खुजली वाले फलों को मिलाएं।
- एक प्याज और मेथी के परांठे: मेथी भरपूर फाइबर और आयरन का स्रोत है।
दोपहर:
- कटोरी मूंग दाल: मूंग दाल में प्रोटीन, आयरन, और फाइबर होता है।
- एक कटोरी भिन्डी और गाजर की सब्जी: गाजर में विटामिन A और गोभी में विटामिन C होता है।
- एक कप दही: दही का सेवन करना आपकी पाचन क्षमता को बढ़ाएगा।
शाम:
- एक हैंडफुल चीसे और खुजली वाले फल: चीसे में कैल्शियम और फलों में विटामिन्स होते हैं।
रात:
- एक कटोरी साग पनीर: पनीर में प्रोटीन, कैल्शियम, और आयरन होता है।
- दो चमच चावल या रोटी: सही मात्रा में पोषण और ऊर्जा की आपूर्ति होती है।
इस समय, शिशु अपने गर्भाशय में समय बिता रहा है और उसकी जननांगों का विकास हो रहा है। इसलिए, महिला को अधिक प्रोटीन, कैल्शियम, और फाइबर की आवश्यकता होती है।
अगर आपको किसी खास महीने की जानकारी चाहिए तो कृपया बताएं, मैं आपको उसमें विस्तार से मदद करूंगा।
प्रेग्नेंसी संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. प्रश्न: प्रेग्नेंसी के पहले महीने में कौन-कौन से आहार ले?
- उत्तर: प्रेग्नेंसी के पहले महीने में मां को सहारा देने के लिए उचित आहार जैसे दूध, सब्जियां, फल, और दाल शामिल करें। विटामिन और प्रोटीन से भरपूर आहार लेना महत्वपूर्ण है।
2. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में कौन-कौन से आहार बचने चाहिए?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में कौन-कौन से आहार बचने चाहिए इसमें उचित प्रोटीन स्रोत, स्वस्थ फत्ते, और कैल्शियम शामिल करना शामिल है। उचित मात्रा में ताजगी से भरे फल भी शामिल करें।
3. प्रश्न: प्रेग्नेंसी के दौरान सही पॉजिशन कौन सी है?
- उत्तर: प्रेग्नेंसी के दौरान सोने की सही पोजिशन सोजा पोजिशन है, जिससे रीढ़ की हड्डी को सही से समर्थित किया जा सकता है। साथ ही, बाएं तरफ सोने का परीपर्श भी सुरक्षित हो सकता है।
4. प्रश्न: गर्भावस्था में सही व्यायाम क्या है?
उत्तर: गर्भावस्था में सही व्यायाम, जैसे कि वॉकिंग, पूल से तैराकी, योगा, और प्रेग्नेंसी एक्वा एरोबिक्स, करना उचित है। ध्यान रखें कि हर किसी की शारीरिक स्थिति अलग हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
5. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में कौन-कौन से तत्वों की कमी हो सकती है?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में कौन-कौन से तत्वों की कमी हो सकती है, जैसे कि आयरन, फोलेट, कैल्शियम, और विटामिन D। इन तत्वों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उचित आहार लेना महत्वपूर्ण है।
6. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में कौन-कौन से आसन करने चाहिए?
- उत्तर: प्रेग्नेंसी में कौन-कौन से आसन, जैसे कि ट्रायंगल पोज, कटुकासन, और बालासन, करने से शरीर को लाभ हो सकता है और गर्भाशय को मजबूती मिलती है।
7. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में स्थायी वजन कितना बढ़ना चाहिए?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में स्थायी वजन कितना बढ़ना चाहिए, यह हर महिला के लिए अलग हो सकता है। आमतौर पर, प्रेग्नेंसी के दौरान 11-15 किलो तक वजन बढ़ना स्वस्थ माना जाता है।
8. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में स्वस्थ तरीके से वजन कैसे कम करें?
- उत्तर: प्रेग्नेंसी में स्वस्थ तरीके से वजन कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है। योगा और सुरक्षित व्यायाम के साथ स्वस्थ आहार लेकर वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
9. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में खासी और सर्दी का इलाज कैसे करें?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में खासी और सर्दी का इलाज के लिए घरेलू उपाय जैसे कि गरम पानी में नमक और तुलसी का काढ़ा, अदरक और शहद का सेवन, और आराम करना अच्छा हो सकता है।
10. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में सुपारीवार कौन-कौन से आसन करें?
- *उत्तर:* प्रेग्नेंसी में सुपारीवार करने के लिए कुछ उपयुक्त आसन हैं, जैसे कि वक्रासन, मत्स्यासन, और ताड़ासन। योगाचार्य से सलाह प्राप्त करना अच्छा होगा।
11. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में स्थितिक में धरना क्यों अच्छा है?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में स्थितिक में धरना बच्चे को बेहतर से समर्थित कर सकता है और मां को शरीर के अंगों को सही से बचाने में मदद कर सकता है।
12. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में कितनी बार डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में डॉक्टर की सलाह नियमित रूप से लेनी चाहिए, विशेषकर गर्भावस्था के विभिन्न महीनों में। डॉक्टर से विराम और नियमित जांच रखना सुरक्षित रहता है।
13. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में खासी और सर्दी के लिए दवाएं कौन-कौन सी सुरक्षित हैं?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में खासी और सर्दी के लिए सुर
क्षित दवाएं, जैसे कि परैसेटामोल, हॉट वॉटर बॉटल का इस्तेमाल, और तुलसी का काढ़ा, की जा सकती है।
14. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में स्वस्थ रखने के लिए कौन-कौन सी चीजें शामिल करें?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में स्वस्थ रखने के लिए उचित आहार, योग, सुरक्षित व्यायाम, पर्याप्त आराम, हाइड्रेटेड रहना, और सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
15. प्रश्न: प्रेग्नेंसी में कैसे अनुसंधान करें?
उत्तर: प्रेग्नेंसी में अनुसंधान करने के लिए नियमित डॉक्टर की जांच, स्वस्थ जीवनशैली, और पौष्टिक आहार का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह सामान्य प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास है और हर महिला की प्रेग्नेंसी अद्वितीय हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा सबसे अच्छा है।